Thursday, 1 May 2025

एहसास

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U hi na dekho hume...
In vadiyon ko jalan si ho jaayegi.
Tum to nikal padte ho is four-wheeler mein, lekin hamara dhyan bhi khinch le jaate ho.
Yeh sundar vadiyaan tumhe apni taraf kheenchti hain,
Aur hum tumhare peeche khinchte chale aate hain.

Yeh lambi-lambi pedh aise lag rahe hain jaise tum bhi unhi ki tarah unchaiyon ki taraf badh rahe ho...
Jeevan ke har kadam par tum hariyali la rahe ho, aage badh rahe ho.

Maano yeh sadkein… tumhe dekh kar sharma gayi ho, isliye tirchhi hone lagi hain.
Yeh pahaad tumhare intezaar mein seedhe khade hain,
Aur tumhare hi intezaar mein badal bhi barf bikherne lage hain.

Thursday, 13 February 2025

aakhir kb tk

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आखिर कब तक?"

आखिर कब तक मुझे गलत समझा जाएगा?
कब तक मैं बेगुनाह होते हुए भी इल्ज़ाम उठाती रहूंगी?
क्यों हर बार मुझे ही दोषी ठहरा कर,
बेपरवाह निकल जाता है ये ज़माना?

ठीक है, अगर यही नियम है दुनिया का,
तो मान लिया—आप जीत गए, हम हार गए।
पर याद रखना, हर हार हमेशा हार नहीं होती,
और हर जीत हमेशा जीत नहीं होती।

कभी वक्त से पूछना,
किसने खुद को खोया और कौन खुद को पाया।
सच को जितनी बार भी झुठलाओ,
एक दिन वो उजाले की तरह लौटकर आता है।

Sunday, 9 February 2025

intejzaar...jindgi ka ek hissa

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इंतजार

ये इंतजार भी अजीब चीज़ है,
न पूरी तरह रोने देती है,
न खुलकर जीने देती है,
फिर भी हर मोड़ पर साथ निभाती है।

बचपन में बड़े होने का इंतजार,

स्कूल में छुट्टियों के आने का इंतजार।
गर्मी की छुट्टियों से पहले,
पेपर खत्म होने का इंतजार।

थोड़ा और बड़े हुए,
तो कॉलेज लाइफ जीने का इंतजार।
कॉलेज पहुँचे, तो दोस्तों के साथ बिताए पलों का इंतजार।
कभी क्लास खत्म होने का, तो कभी किसी ख़ास से मिलने का इंतजार।

फिर करियर की दौड़ में शामिल हुए,
तो नौकरी के लिए संघर्ष का इंतजार।
फॉर्म भरा तो परीक्षा की तारीख का इंतजार,
परीक्षा दी तो रिजल्ट का इंतजार।
अगर मनमाफिक न निकला,
तो अगली कोशिश का इंतजार।

नौकरी लगी तो सैलरी का इंतजार,
पहली कमाई से परिवार की खुशी देखने का इंतजार।
ख्वाब पूरे होने लगे,
तो ज़िंदगी संवरने का इंतजार।

पर कहीं न कहीं,
ये इंतजार कभी खत्म नहीं होता।
हर खुशी, हर सफलता के बाद,
एक नए इंतजार की शुरुआत होती है।

शायद यही ज़िंदगी है—
इंतजार और उम्मीदों के बीच बीतती हुई,
हर मोड़ पर एक नई मंज़िल का इंतजार करती हुई।